पाशा पटेल के प्रयासों से महाराष्ट्र की ‘बांस औद्योगिक नीति’ को राज्य मंत्रिमंडल की मंजूरी
मुंबई, 14 अक्टूबर 2025: सतत और हरित महाराष्ट्र की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में, राज्य सरकार ने 50,000 करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करने वाली महत्वाकांक्षी महाराष्ट्र बांस औद्योगिक नीति-2025 को मंजूरी दी है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस नीति को अंतिम रूप दिया गया, ताकि बांस को सतत औद्योगिक विकास, ग्रामीण रोजगार सृजन और पर्यावरणीय संतुलन के लिए आधार बनाया जा सके।
राज्य कृषि मूल्य आयोग के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पर्यावरण संतुलित विकास कार्य बल के कार्यकारी अध्यक्ष पाशा पटेल कई वर्षों से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के समाधान के रूप में बांस की खेती के लिए पैरवी कर रहे हैं।
पिछले महीने 18 सितंबर को पाशा पटेल के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय बांस सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें उन्होंने राज्य में तत्काल बांस औद्योगिक नीति लागू करने की मांग दोहराई। इस सम्मेलन में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जल्द ही नीति लागू करने का आश्वासन दिया था।
राज्य के उद्योग मंत्री उदय सामंत के प्रयासों से महाराष्ट्र के औद्योगिक परिदृश्य में यह नई बांस नीति लागू हुई है। पाशा पटेल ने कहा कि देश या किसी अन्य राज्य में ऐसी नीति अभी तक लागू नहीं हुई है, जिससे यह सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह नीति राज्य के औद्योगिक ढांचे को नई दिशा देगी, जिसमें नवाचार, कौशल विकास, मूल्यवर्धन, बड़े पैमाने पर बांस की खेती और आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण पर जोर दिया गया है।
नीति में बांस किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), अनुबंध खेती, और ऊर्जा, उद्योग व घरेलू क्षेत्रों में बांस के उपयोग को प्रोत्साहन दिया जाएगा। एंकर यूनिट्स और सामान्य सुविधा केंद्र (सीएफसी) जैसी बुनियादी सुविधाएं स्थापित की जाएंगी, साथ ही राज्य भर में 15 बांस क्लस्टर बनाए जाएंगे। दूरदराज के क्षेत्रों में बांस कारीगरों के लिए माइक्रो सामान्य सुविधा केंद्र (एमसीएफसी) स्थापित किए जाएंगे। बांस के अनुसंधान और विकास के लिए कृषि विश्वविद्यालयों का सहयोग लिया जाएगा, जिसमें किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और आवश्यकता पड़ने पर अंतरराष्ट्रीय साझेदारियां की जाएंगी।
क्लस्टर-आधारित बांस औद्योगिक विकास नीति के तहत, 15 बांस औद्योगिक क्लस्टर विकसित किए जाएंगे, प्रत्येक में एक प्रमुख एंकर यूनिट और सामान्य सुविधा केंद्र (सीएफसी) होगा, जो बांस प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन, अनुसंधान और नवाचार पर केंद्रित होंगे, जैसा कि उद्योग मंत्री उदय सामंत ने बताया।
राज्य सरकार की बांस नीति का लक्ष्य महाराष्ट्र को बांस-आधारित उद्योगों में अग्रणी बनाना है, जिसमें सतत आर्थिक विकास, ग्रामीण सशक्तीकरण, कौशल विकास और तकनीकी नवाचार पर जोर दिया गया है। इस नीति से पर्यावरण संरक्षण और हरित उद्योगों की वृद्धि की उम्मीद है।
महाराष्ट्र बांस नीति 2025–30
नीति के कार्यान्वयन के लिए 2025–30 के लिए 1,534 करोड़ रुपये, 20 वर्षों के लिए 11,797 करोड़ रुपये और चालू वित्तीय वर्ष के लिए 50 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया है।
बांस प्रसंस्करण उद्योगों के लिए प्रोत्साहन
बांस से संबंधित प्रसंस्करण उद्योगों को ब्याज, बिजली, स्टांप ड्यूटी और बिजली शुल्क पर छूट दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, बांस क्षेत्र में नवाचार-आधारित स्टार्टअप्स और सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए 300 करोड़ रुपये का वेंचर कैपिटल फंड मंजूर किया गया है।
बांस विकास परियोजना: 4,271 करोड़ रुपये
एशियाई विकास बैंक के सहयोग से लगभग 4,271 करोड़ रुपये की बांस विकास परियोजना का प्रारंभिक प्रस्ताव केंद्र सरकार को सौंपा गया है। इस परियोजना के माध्यम से किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को गुणवत्तापूर्ण पौधे, सब्सिडी और प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। बांस उत्पादकों, उद्योगों और वितरकों के बीच समन्वय सुनिश्चित किया जाएगा। प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना मांग-आपूर्ति के अंतर को कम करेगी और बाजार विकास को बढ़ावा देगी।
थर्मल पावर प्लांट्स में 5–7% ईंधन को बांस बायोमास से बदला जाएगा। जीआईएस, एमआईएस, ब्लॉकचेन, ड्रोन और टिशू कल्चर लैब्स जैसी तकनीकों से बांस मूल्य श्रृंखला का विकास किया जाएगा। मनरेगा और सार्वजनिक भूमि पर बांस की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।
बांस खेती का बजट
2025–30 के लिए 1,534 करोड़ रुपये, 20 वर्षों के लिए 11,797 करोड़ रुपये और चालू वर्ष के लिए 50 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया है।
वैश्विक बांस बाजार
2030 तक वैश्विक बांस बाजार 88.43 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। भारत की वर्तमान बांस निर्यात हिस्सेदारी 2.3% है, जिसमें 28,000 करोड़ रुपये का घरेलू उद्योग और 4% वन क्षेत्र शामिल है। देश की वार्षिक बांस उत्पादन क्षमता 32.03 लाख टन है। महाराष्ट्र, 1.35 मिलियन हेक्टेयर (भारत में तीसरा) के साथ, 2022 में 9.47 लाख टन बांस का उत्पादन किया। उपलब्ध परती भूमि के साथ, राज्य की उत्पादन क्षमता प्रतिवर्ष लगभग 157.12 लाख टन तक पहुंच सकती है। वर्तमान में अमरावती, सिंधुदुर्ग और भंडारा जिल्हों में बांस क्लस्टर मौजूद हैं।
उद्धरण: पाशा पटेल
“वैश्विक तापमान वृद्धि का युग समाप्त हो चुका है; अब तपन का युग शुरू हुआ है। जलवायु परिवर्तन के खिलाफ तत्काल कार्रवाई समय की मांग है, वरना मानवता का अंत निश्चित है!” – एंटोनियो गुटेरेस, महासचिव, संयुक्त राष्ट्र। महाराष्ट्र ने इस आह्वान का पहला जवाब दिया है। जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संकटों से निपटने के लिए बांस की खेती ही एकमात्र रास्ता है। बांस औद्योगिक नीति 2025 की घोषणा कर महाराष्ट्र सरकार ने मानवता के संरक्षण के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार और एकनाथ शिंदे का धन्यवाद। – पाशा पटेल, अध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य कृषि मूल्य आयोग और कार्यकारी अध्यक्ष, मुख्यमंत्री पर्यावरण संतुलित विकास कार्य बल।

